Friday, March 1, 2013


मुझे मेरा साथी मिला





एक रोज़ नापने चला पैरों के निशॉन
अतीत को बनाने चला वर्तमान
सफलता असफलता की यादों को वापस बलुाया
दो चार बोल भी आए और खूब मुस्कुराया
कुछ यादें भंवर की तरह घिरी आर्इ
और वर्तमान ने बीती बातें गिनवार्इ
घर, गांव, षहर, देष, दुनिया
सब कुछ समा गया इनमें
मुझमें दुनिया थी या दुनिया में मैं
ये आभास भी न रहा मुझे
एक एक कण अणु का हंस रहा था
विचारों का ज्वार धीरे धीरे थम रहा था।
एक खोज को विराम लगना था
मुझमें ही सब और सब में मैं यह पता चलना था
ढंूढता था जिसे दर दर भटककर
आज वो मुझे मुझमें ही मिला
देखो मुझे मेरा साथी मिला।

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