तुझमें ही खो जाना है मुझे
कुछ कहने से पहले ही तुम समझ जाते हो
शब्दों के छोटे होने का अहसास होता है
चाहे कितनी कविताएं लिख डालूं
या फिर गद्य में तुम्हें रच डालूं
कहां समा पाते हो तुम
बस अहसास ही कर पाता हूं तुम्हारा
खुद में होने का
बस अहसास ही कर पाता हूं तुम्हारा
कुछ तुझमें खोने का
जितना खोता हूं उतना ही कम सा लगता है
मेरा स्वयं मुझमें बहुत बड़ा सा लगता है
पहुंचना चाहता हूं वहां जहां मैं न रहूं मुझमें
तेरा अहसास रहे कुछ या तेरा भाव रहे कुछ,
तेरा नाम रहे कुछ या तेरा काम रहे कुछ
यही कुछ की अपूर्णता से पूर्ण हो जाना है मुझे।
तुझमें समाया हूं, तुझमें ही खो जाना है मुझे।
Dedicated to dearest Guru Ji..............................
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