शैडो
कभी तू मुझ से जुदा हो जाता है
और अहसास कराता है कि बस मैं ही हूं जिसे चलना है
और पहुंचना है उस पार
तो कभी मुझ में ही समा जाता है
और अहसास कराता है कि सब कुछ मुझ में ही समाया है
कभी तू मुझसे भी बड़ा दिखता है
और अहसास कराता है कि केवल मैं ही मैं नहीं हूं इस जीवन में
मुझसे भी और आगे और उपर कुछ है
कभी तू छोटा बन मेरे साथ रहता है
और अहसास कराता है कि छोटे बने रहने में कितने फायदे हैं
कहां अकेला होता है कोई इस जीवन में कभी
एक सायां साथ रहता है सदैव
कभी बड़ा बनकर, कभी छोटा होकर, कभी जुदा होकर तो कभी मुझमें खोकर।