Saturday, February 7, 2015

शैडो



कभी तू मुझ से जुदा हो जाता है

और अहसास कराता है कि बस मैं ही हूं जिसे चलना है
और पहुंचना है उस पार
तो कभी मुझ में ही समा जाता है

और अहसास कराता है कि सब कुछ मुझ में ही समाया है

कभी तू मुझसे भी बड़ा दिखता है

और अहसास कराता है कि केवल मैं ही मैं नहीं हूं इस जीवन में

मुझसे भी और आगे और उपर कुछ है

कभी तू छोटा बन मेरे साथ रहता है

और ​अहसास कराता है कि छोटे बने रहने में कितने फायदे हैं

कहां अकेला होता है कोई इस जीवन में कभी

एक सायां साथ रहता है सदैव

कभी बड़ा बनकर, कभी छोटा होकर, कभी जुदा होकर तो कभी मुझमें खोकर। 

Friday, February 6, 2015

कविता की कहानी





कुछ शब्दों की बात थी
कुछ पलों का खेल था
कुछ जज्बातों का उबाल था
कुछ सफों का मेल था
कुछ हाथ का सहारा लिया
कुछ दीमाग का उपयोग किया
कुछ यादों का टटोला
कुछ को नया रूप दिया
कलम का लिया सहारा
दीमाग, दिल को एक किया
उतारता गया रूह की आावाज को
सफे दर सफे काले होते रहे
पल—पल की यादों को पिरोते रहे
जब कुछ नहीं बचा कहने को तो
पूर्णविराम लगा अंत किया
और इस तरह
एक कविता को मैंने अन्नत किया।

Thursday, January 29, 2015

​तुझमें ही खो जाना है मुझे


Saturday, March 15, 2014

बाहरी यात्रा से आंतरिक यात्रा की शुरूआत



आखिर क्यों हमें ट्रेवलिंग अर्थात यात्रा करना अच्छा लगता है ? क्यों हमें नर्इ नर्इ जगहों पर जाना, वहां के बारे में जानना, नए नए लोगों से मिलना अच्छा लगता है ? क्यों हमें ट्रेकिंग करना, घने जंगल में जाकर झरने को देखना, जंगली जानवरों को निहारना अच्छा लगता है ? सवाल तो बहुत हैं, पर जवाब.......

  • ·         हो सकता है आप अपने व्यस्त जीवन से आराम हेतु कुछ समय निकालना चाहते हों और इसलिए         आपको यात्रा करना नर्इ नर्इ जगहों पर जाना पसंद हो।
  • ·         हो सकता है आप प्रकृति प्रेमी हों और नर्इ नर्इ जगहों पर जाकर प्रकृति की विभिन्न छटाओं को            देखने में आपको आनंद आता हो।
  • ·         हो सकता है आप अपने परिवार के साथ कुछ सुकून के क्षण बिताना चाहते हों
  • ·         हो सकता है आपको नए नए लोगों से मिलना पसंद हो और इसलिए आपको यात्रा करना अच्छा            लगता हो।

आपका जवाब चाहे जो भी हो, मुख्य बात यह है कि यात्रा आपके जीवन में खुशियों के वह पल लेकर आती है जिसे आप प्रतिदिन के अपने जीवन में आप खोजते हैं। जब आप कहीं यात्रा पर जाते हैं तो आपको स्वयं के लिए समय मिलता है और आप आराम का आनंद लेते हैं। कुछ दिनों की यात्रा के दौरान मिले आराम के बाद आप स्वयं को तरोताजा और आनंदित महसूस करते हैं। पुन: आप अपनी दैनिक दिनचर्या में प्रवेश करते हैं पर नर्इ उर्जा उत्साह के साथ।

यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं तो यात्रा आपके लिए केवल यात्रा रहकर आध्यातिमक यात्रा बन जाती है। जहां एक तरफ विभिन्न जगहों के प्रकृति सौंदर्य को देखने का मौका मिलता है वहीं दूसरी तरफ आंतरिक आनंद स्वत: प्रसफुटित होने लगता है। जब आप किसी घने जंगल के उंचे से पहाड़ पर जाकर चिल्लाते हैं तो आपको अपनी आवाज़़ पुन: सुनार्इ देती है। शहरी चकाचौंध में खो चुके व्यकितयों के लिए यह अनुभव बचकाना हो सकता है पर जो आनंद का अनुभव आप कर सकते हैं वह केवल एक प्रकृति प्रेमी ही समझ सकता है।
        जहां शहरी कंक्रीट के जंगलों में बाहरी आवाज़ों का आवागमन रहता है वहीं किसी प्राकृतिक वातावरण में बिताए गए कुछ क्षण आपको स्वयं की सुकोमल भावनाओं से अवगत करवाते हैं। तब आपको अपने जीवन में शांति, उत्साह, आनंद का अनुभव होता है।
         ऐसा कहा भी जाता है यदि आप किसी बात को लेकर भ्रमित हैं और कुछ निर्णय नहीं कर पा रहे हैं तो आपको किसी जगह घूमने चले जाना चाहिए ताकि आप आराम का अनुभव कर सकें। आंतरिक आराम के क्षणों में आप स्वयं के बेहद करीब होंगे और कहीं कहीं आपके सवाल का जवाब भी आपको मिल जाएगा।
         जब हम किसी ऐसे प्राकृतिक स्थान पर होते हैं जहां बहुत शांति है तो वहां हम अपने भीतरी कुरूक्षेत्र से अवगत होते हैं और यही ज्ञान हमें शांति की तरफ अग्रसर करता है।
        यात्रा के दौरान हम विभिन्न लोगों से मिलते हैं, विभिन्न राज्यों, देशों के खान-पान और रहन सहन से अवगत होते हैं। हमें उनकी कार्य शैली का पता चलता है। यही बात हमारी सोच को विकसित करती है और हमारे व्यकितत्व में निखार लाती है।


अंत में इतना ही कहूंगा कि यात्रा करने घूमने जाने का उद्धेशय अलग ज़रूर हो सकता है पर परिणाम केवल आनंद खुशी के उन पलों को जीना है जो हम रोज़मर्रा के जीवन में खोजते हैं।



Friday, March 14, 2014

Art of giving



On the path of spiritualism, it is often said in every religion that we should donate, might be it is part of monthly income, food, clothes or other basic requirements to the needy. But then question arises in my mind why we should donate? Moreover it is our hard earn money. And why we give it to others, they themselves go and earn it.

Then to resolve this issue, I searched & researched various books of enlightened people day in and day out. And finally, I came to a decision that it is beneficial for us and as well as for those who are in dire need of our help.

1.
Quantum physics tells us that we all are one, closely related to each other. Literary it appears to be different but minutely this whole universe is made up of single Energy. Different forms of energy are available but on the very core we all are one. Now, if one section of our society is poor and unable to cope up with basic needs, it directly or indirectly affects us. By donating, we are helping them as well as ourselves. If every strata of society lives harmoniously and overall development is possible there then surely we are leading towards a healthy society. Donation is a constant reminder that we all are one and there is no distinction between you and me.

2. Art of giving is something which gives us sense of satisfaction towards betterment of society or being. Whole life we collect for me and my family. But Alas! Sorrows are still with us like our best friend. And when we give a little amount from our salary, or share quality time for the needy people then our sorrows vanish by themselves. Happiness blossoms and celebrations in our life begin.

3. It is also said in Hindu religion that we should do our karma but leave the fruit of it on God. It is the highest form of knowledge. Actually, there is a process, initially when we start donating then might be we attach ourselves to its fruit. There is no harm in it but later on time comes when we are able to donate and also not attach with the fruit.




Wednesday, January 29, 2014

शायद मैं वैसा नहीं था.

Thursday, April 4, 2013

More Yes,,,,,,,,,,,,,,,More Peace.






.Yesterday I was reading something and meanwhile one quote just pulled me up......."If we don't complain for just 24 hours then we can see the magical change in our life" ! I applied it instantly and amazing results appeared. Peace & Calmness were in their ever higher stage & work which I was doing, completed succesfully without any confusions & questions.
 
 At once I remembered the point "If Yes inside, Yes outside!!!".