Saturday, February 7, 2015

शैडो



कभी तू मुझ से जुदा हो जाता है

और अहसास कराता है कि बस मैं ही हूं जिसे चलना है
और पहुंचना है उस पार
तो कभी मुझ में ही समा जाता है

और अहसास कराता है कि सब कुछ मुझ में ही समाया है

कभी तू मुझसे भी बड़ा दिखता है

और अहसास कराता है कि केवल मैं ही मैं नहीं हूं इस जीवन में

मुझसे भी और आगे और उपर कुछ है

कभी तू छोटा बन मेरे साथ रहता है

और ​अहसास कराता है कि छोटे बने रहने में कितने फायदे हैं

कहां अकेला होता है कोई इस जीवन में कभी

एक सायां साथ रहता है सदैव

कभी बड़ा बनकर, कभी छोटा होकर, कभी जुदा होकर तो कभी मुझमें खोकर। 

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