Friday, February 6, 2015

कविता की कहानी





कुछ शब्दों की बात थी
कुछ पलों का खेल था
कुछ जज्बातों का उबाल था
कुछ सफों का मेल था
कुछ हाथ का सहारा लिया
कुछ दीमाग का उपयोग किया
कुछ यादों का टटोला
कुछ को नया रूप दिया
कलम का लिया सहारा
दीमाग, दिल को एक किया
उतारता गया रूह की आावाज को
सफे दर सफे काले होते रहे
पल—पल की यादों को पिरोते रहे
जब कुछ नहीं बचा कहने को तो
पूर्णविराम लगा अंत किया
और इस तरह
एक कविता को मैंने अन्नत किया।

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