Saturday, March 15, 2014

बाहरी यात्रा से आंतरिक यात्रा की शुरूआत



आखिर क्यों हमें ट्रेवलिंग अर्थात यात्रा करना अच्छा लगता है ? क्यों हमें नर्इ नर्इ जगहों पर जाना, वहां के बारे में जानना, नए नए लोगों से मिलना अच्छा लगता है ? क्यों हमें ट्रेकिंग करना, घने जंगल में जाकर झरने को देखना, जंगली जानवरों को निहारना अच्छा लगता है ? सवाल तो बहुत हैं, पर जवाब.......

  • ·         हो सकता है आप अपने व्यस्त जीवन से आराम हेतु कुछ समय निकालना चाहते हों और इसलिए         आपको यात्रा करना नर्इ नर्इ जगहों पर जाना पसंद हो।
  • ·         हो सकता है आप प्रकृति प्रेमी हों और नर्इ नर्इ जगहों पर जाकर प्रकृति की विभिन्न छटाओं को            देखने में आपको आनंद आता हो।
  • ·         हो सकता है आप अपने परिवार के साथ कुछ सुकून के क्षण बिताना चाहते हों
  • ·         हो सकता है आपको नए नए लोगों से मिलना पसंद हो और इसलिए आपको यात्रा करना अच्छा            लगता हो।

आपका जवाब चाहे जो भी हो, मुख्य बात यह है कि यात्रा आपके जीवन में खुशियों के वह पल लेकर आती है जिसे आप प्रतिदिन के अपने जीवन में आप खोजते हैं। जब आप कहीं यात्रा पर जाते हैं तो आपको स्वयं के लिए समय मिलता है और आप आराम का आनंद लेते हैं। कुछ दिनों की यात्रा के दौरान मिले आराम के बाद आप स्वयं को तरोताजा और आनंदित महसूस करते हैं। पुन: आप अपनी दैनिक दिनचर्या में प्रवेश करते हैं पर नर्इ उर्जा उत्साह के साथ।

यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं तो यात्रा आपके लिए केवल यात्रा रहकर आध्यातिमक यात्रा बन जाती है। जहां एक तरफ विभिन्न जगहों के प्रकृति सौंदर्य को देखने का मौका मिलता है वहीं दूसरी तरफ आंतरिक आनंद स्वत: प्रसफुटित होने लगता है। जब आप किसी घने जंगल के उंचे से पहाड़ पर जाकर चिल्लाते हैं तो आपको अपनी आवाज़़ पुन: सुनार्इ देती है। शहरी चकाचौंध में खो चुके व्यकितयों के लिए यह अनुभव बचकाना हो सकता है पर जो आनंद का अनुभव आप कर सकते हैं वह केवल एक प्रकृति प्रेमी ही समझ सकता है।
        जहां शहरी कंक्रीट के जंगलों में बाहरी आवाज़ों का आवागमन रहता है वहीं किसी प्राकृतिक वातावरण में बिताए गए कुछ क्षण आपको स्वयं की सुकोमल भावनाओं से अवगत करवाते हैं। तब आपको अपने जीवन में शांति, उत्साह, आनंद का अनुभव होता है।
         ऐसा कहा भी जाता है यदि आप किसी बात को लेकर भ्रमित हैं और कुछ निर्णय नहीं कर पा रहे हैं तो आपको किसी जगह घूमने चले जाना चाहिए ताकि आप आराम का अनुभव कर सकें। आंतरिक आराम के क्षणों में आप स्वयं के बेहद करीब होंगे और कहीं कहीं आपके सवाल का जवाब भी आपको मिल जाएगा।
         जब हम किसी ऐसे प्राकृतिक स्थान पर होते हैं जहां बहुत शांति है तो वहां हम अपने भीतरी कुरूक्षेत्र से अवगत होते हैं और यही ज्ञान हमें शांति की तरफ अग्रसर करता है।
        यात्रा के दौरान हम विभिन्न लोगों से मिलते हैं, विभिन्न राज्यों, देशों के खान-पान और रहन सहन से अवगत होते हैं। हमें उनकी कार्य शैली का पता चलता है। यही बात हमारी सोच को विकसित करती है और हमारे व्यकितत्व में निखार लाती है।


अंत में इतना ही कहूंगा कि यात्रा करने घूमने जाने का उद्धेशय अलग ज़रूर हो सकता है पर परिणाम केवल आनंद खुशी के उन पलों को जीना है जो हम रोज़मर्रा के जीवन में खोजते हैं।



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